Class 10 Hindi 4 lesson कण-कण का अधिकारी

1.भाग्य और कर्म मे आप किसे श्रेष्ठ मानते है ? क्यो ? 
 उ. कर्म और भाग्य मे मै कर्म को श्रेष्ठ मानता हूं। कर्म ही सफलता की कुंजी है। कर्म करने वाले हमेशा सफल होता है। कर्म करने वाला कण-कण का अधिकारी है। अंबर और अवनी श्रमिक के सामने सर झुकाते है। नर समाज का भाग्य श्रमिक का श्रम है।

 2.श्रम के बल पर हम क्या-क्या हासिल कर सकते है?
 उ.  श्रम के बल पर हम भाग्य को बदल सकते है। श्रम से मनुष्य अपने जीवन की सभी सुख सुविधाओं तथा अपनी इच्छाओ का पूरा कर सकता है। श्रम के द्वारा हम दूसरों से सम्मान पा सकते है। श्रम-बल से हम आकाश और धरती को भी झुका सकते है।

  3.कवि मेहनत करने वाले को सदा आगे रखने की बात क्यों कर रहे है?
उ. जो अपना पसीना बहाकर मेहनत करता है। सबसे पहले उसे सुख मिलना चाहिए। उसे ही सुख पाने का पहला अधिकार है। इसलिए हमे परिश्रम करने वालो के बारे में सबसे पहले सोचना चाहिए। उसे पीछे रखकर हम किसी भी राष्ट्र का विकास नही कर सकते।

4.कवि ने मज़दूरो के अधिकारों का वर्णन कैसे किया है? अपने शब्दो मे लिखिए
उ.कवि ने कविता के मध्य से मजदूरों के अधिकारों का वर्णन किया है की अर्थ पाप की कमाई सच्ची कमाई नहीं होती है परिश्रम व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नही हैं। मानव समाज में परिश्रम करने वाले को ही सुख पाने का पहला अधिकार है। वे कण-कण के अधिकारी हैं।

5.श्रम का महत्व' विषय पर निबंध लिखिए। 
उ.जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए क्षम इसलिए कहा गया है - " अनिवार्य है परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। श्रम ही मनुष्य के जीवन का वास्तविक धन । बिना श्रम किए कोई भी सफलता हासिल नही कर सकता श्रम से कोई भी काम करने पर सफलता मिलती हैं

  6.नर समाज का भाग्य एक है, वह श्रम, वह भुजबल है। जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है। अपने विचार व्यक्त कीजिए
 उ. श्रम के बल पर हम अपने जीवन को सुंदर बना सकते है। श्रम के बल पर हो हम खूब कमा कर अपनी इच्छाओ को पूरा कर सकते है। श्रम करनेवाले व्यक्तियों का सभी आदर करते है। श्रम करनेवाले के लिए कुछ भी असंभव नही है। श्रम के बल पर ही हम अपने भाग्य को और विजयो को भी हासिल कर सकते है। इसलिए हम कह सकते है कि जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है