TS CLASS 10 HINDI 1 LESSON बरसते बादल
1.मेघ, बिजली और बूँदों का वर्णन यहाँ कैसे किया गया है?
प्रःप्रकृति की कौन-कौन सी चीजें मन को छू लेती हैं ?उःबरसते बादल, बहती जल धाराएँ, गिरती बूँदें, बढ़ते हुए पौधे, खिलते हुए फूल और फैलता हुआ सुगंध, नाचते हुए मोर, मेंढक की टर-टर की आवाज़, धरती की हरियाली, आकाश में इंद्रधनुष आदि चीजें मन को छू लेती हैं।
प्रःघने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।
उःवर्षा ऋतु के समय आकाश में घने बादल छा जाते हैं। वे आकाश भर में इधर-उधर फिरते हैं और वे एक दूसरे से टकराकर गरजते हैं और वर्षा देते हैं। कभी-कभी उनके उर में बिजली चमकती है। आकाश में बादल कई आकारों में दिखाई देते हैं। घने बादलों से ही मूसलदार वर्षा बरसती है और धरती शीतल बन जाती है।
अभिव्यक्ति सृजनात्मकता
1.वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। कैसे ?
उःप्रकृति में रहनेवाली हर प्राणी वर्षा पर निर्भर रहत है। पानी के बिना मानव, पशु-पक्षी और पेड-पौधे जीवित नहीं रह सकते। मेघों से वर्षा होती है । वर्षा हमारे लिए प्रकृति का वरदान है। वर्षा के कारण नदी-नाले, तालाब, आदि पानी से भर जाते हैं। इनसे मानव अपनी जीविका चला रहा है। नदियों के पानी से खेतों की सिंचाई होती है । वर्षा के बिना खेती-बाडी नहीं हो सकती । वर्षा के पानी से सब प्राणियों की प्यास बुझती है। पानी से ही बिजली पैदा होती है इसलिए हम कह सकते हैं कि वर्षा सभी प्राणियों का जीवन का आधार है ।
प्रःबरसते बादल' कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण है। उसे अपने शब्दों में लिखिए। उःप्रस्तुत कविता में कवि ने सावन मास के बादल बरसते समय प्रकृति चित्रण का वर्णन बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया। कवि कहते हैं कि मेघों से वर्षा 'झम-झम' स्वर से बरसती है । बादलों की छम-छम गिरती बूँदें पेडों पर पडकर छनती हैं। अंध- कार रूपी काले बादलों में कभी-कभी बिजली चमक कर उजाला फैलाती हैं। वर्षा ऋतु में हम दिन में ही सपने देखने लगते हैं। वर्षा को देखकर दादुर टर-टर करते रहते हैं। झिंगुर झन झन बजती है। मोर भी खुशी से यव-म्यव करते हुए नाच दिखाते हैं। चातक के गण पीउ-पीउ करते हुए मेघों की ओर देख रहे हैं। आर्द-सुख से क्रंदन करते सोनबालक उडते हैं। आकाश भर में बादल घुमडते हुए गरज रहे हैं। वर्षा की बूँदें रिमझिम रिमझिम पडती हुई कुछ कह रही हैं। वे बूँदें शरीर पर गिरने से रोम सिहर उठते हैं। अधिक वर्षा होने के कारण धाराओं पर धाराएँ धरती पर बहती हैं। वर्षा के कारण मिट्टी के कण-कण से कोमल अंकुर फूट रहे हैं। अंत में कवि इस प्रकार कह रहे हैं कि वर्षा की धारा को पकडने मेरा मन झूल रहा है। आओ, आज सब मिलकर सावन के गीत गायेंगे और वर्षा के कारण बने इंद्र- धनुष रूपी झूले में झूलेंगे । मन को लुभानेवाला सावन हमारे जीवन में बार-बार आयें ।
प्रःप्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी-सी कविता लिखिए।
उः ये नदियों की कल कल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती हैं हम से
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हम से ।।
प्रः 'फिर-फिर आए जीवन में सावन मनभावन' ऐसा क्यों कहा गया होगा ? स्पष्ट कीजिए।
उः कवि कहते हैं कि जीवन में सावन बार-बार आयें और सब मिल कर झूले में झूलें। क्यों कि वर्षाऋतु हमेशा सब की प्रिय ऋतु रही है। हर साल सावन आने पर प्रकृति की सुंदरता बढ़ जाती है। पेड-पौधे, पशु- पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से झूम उठती है। वर्षा के कारण मिट्टी के कण-कण से कोमल अंकुर फूट कर तृण बन जाते हैं। सावन सब के मन छू लेता है। इसलिए इस कविता में कवि ने फिर-फिर आये जीवन में सावन मनभावन ' कहा होगा।