TS CLASS 10 LESSON 2 ईदगाह

1. ईद के दिन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए
ज:तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है। ईद के दिन का चित्रण इस प्रकार है कि ईद का प्रभात मनोहर और सुहावना है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है और खेतों में प्रकाश । आसमान पर कुछ लालिमा है। सूर्य प्यारा और शीतल है ! मानो ईद आने के कारण प्रकृति भी अपनी खुशी व्यक्त कर रही है

2.हामिद गरीब है फिर भी वह ईद के दिन अन्य लडकों से अधिक प्रसन्न है, क्यों ?
ज: हामिद चार-पाँच साल का भोला-भाला बालक है। माता-पिता के चल बसने के कारण वह अपनी दादी अमीना के पास रहता था । उसे अपनी गरीबी पर चिंता नहीं है। उसके पाँव में जूते नहीं हैं और सिर पर एक पुरानी टोपी है। ईद के दिन घर में दाना तक नहीं है। पहनने के लिए अच्छे कपडे भी नहीं हैं। फिर भी वह प्रसन्न है। हामिद का विश्वास है कि अपने माता-पिता पैसे कमाकर खिलौने और मिठाइयाँ लायेंगे। इस तरह हामिद गरीब होने पर भी ईद के दिन अन्य लडकों से अधिक प्रसन्न है ।

3.हामिद की खुशी का कारण क्या है ? 
हामिद को अपनी गरीबी पर चिंता नहीं है। उसके पाँव में जूते नहीं हैं और सिर पर एक पुरानी टोपी है। ईद के दिन में घर में दाना तक नहीं है। पहनने के लिए अच्छे कपडे भी नहीं हैं । हामिद का विश्वास है कि उसके माता-पिता जरूर आयेंगे और बहुत- सी चीजें लायेंगे। यही हामिद की खुशी का कारण है।

4) हामिद चिमटा क्यों खरीदना चाहता था ?
हामिद को लोहे की दुकान में चिमटा देखते ही अपनी दादी की उँगलियाँ तवे से रोटियाँ उतारते समय जलने की याद आती है। अपनी दादी के प्रति उसके मन में बहुत प्रेम था । इसलिए वह अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदना चाहता था । 

5.हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों के प्रति दादी अम्मा की भावनाएँ कैसी थीं ?
 ज: हामिद मेले में अपनी भूख और प्यास के बारे में न सोचकर दुपहर तक घूम आना दादी को अच्छा नहीं लगा । इसलिए वह अपने पोते को एक बे-समझ लड़का समझती है । उसके मन में अपने पोते के प्रति मार्मिक प्रेम है। हामिद अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदकर लाना देखकर अमीना का क्रोध हामिद के प्रति स्नेह के रूप में बदल जाता है । आँचल फैलाकर हामिद को दुआएँ देती है। दादी के मन में हामिद के प्रति इस प्रकार की हृदयस्पर्शी भावनाएँ थीं।

 अर्थग्राह्यता प्रतिक्रिया
 ईदगाह ' कहानी के कहानीकार कौन हैं ? इनकी रचनाओं की विशेषता क्या है ?       
  ज : ईदगाह ' कहानी के कहानीकार श्री प्रेमचंद हैं। इनके बचपन का नाम धनपतराय श्रीवास्तव हैं। इनका जन्म काशी में सन् 1880 को हुआ। उन्होंने एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इनकी कहानियाँ 'मानसरोवर' शीर्षक से आठ खंडों में संकलित हैं। इन्हें 'उपन्यास सम्राट भी कहते हैं । इनकी रचनाओं में समाजवादी विचारधारा, ग्रामीण जीवन का जीता-जागता चित्रण, यथार्थवाद, मानवतावाद आदि भावनाएँ दिखाई देती है। इनकी रचनाओं में मुहावरों और कहावतों का पर्याप्त
प्रयोग मिलता है ।
2.बालक प्रायः अलग-अलग स्वभाव के होते हैं। कहानी के आधार पर बताइए कि हामिद का स्वभाव कैसा है ? 
 ज: बालक प्रायः अलग-अलग स्वभाव के होते हैं। 'ईदगाह' कहानी में हामिद चार-पाँच साल का भोला-भाला बालक था। वह आशावादी था। माता-पिता के चल बसने के कारण वह अपनी दादी अमीना के पास रहता था। वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता था । उसमें भोलापन, संयमी गुण, त्याग, सद्भाव, विवेक, बडों के प्रति आदर आदि अच्छे गुण हैं।

अभिव्यक्ति सृजनात्मकता
हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों ?
 ज: हामिद के स्थान पर मैं होता तो मेरी दादी को एक अच्छे डॉक्टर को दिखाता। क्योंकि अमीना की तरह मेरी भी एक दादी है। मेरे लिए सब कुछ वही है । उसे डॉक्टर को दिखाकर, एक ऐनक खरीदूँगा। क्योंकि बहुत दिनों से उसकी आँखें ठीक नहीं दिखायी।दे रही हैं। ऐनक खरीदकर देने से वह अपना मन पसंद रामायण ग्रंथ हर दिन पढ़सकेगी। दादी को सुख पहुँचाने में ही मैं अपना सुख समझता हूँ ।
ईदगाह ' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए 
Aरमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है। गाँव के बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जा रहे हैं। लडके सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। हामिद भी ज्यादा प्रसन्न है । वह चार-पाँच साल का भोला-भाला बालक है। माता-पिता चल बसने के कारण
वह अपनी दादी अमीना के पालन-पोषण में रहता है। आज वह मेले के साथ ईदगाह
जाना चाहता है। उसके पैरों में जूते तक नहीं तीन कोस पैदल ही जाना पडता है।
इसलिए दादी अमीना को बडा दुःख हुआ । हामिद अपनी दादी को समझाकर ईदगाह की ओर चल पड़ा। उसके पास केवल तीन पैसे हैं। नमाज पूरी होते ही सब बच्चे मिठाई और खिलौनों की दूकानों के पास जाकर अपनी-अपनी मन पसंद चीजें खरीदने लगे । हामिद कुछ भी न खरीदकर उनकी ओर ललचाई आँखों से देखता है। वह लोहे की दुकान पर ठहर जाता है। वहाँ एक चिमटे को देखते ही उसकी दादी की याद आती है। उसको अपनी दादी की उँगलियाँ तवे से रोटियाँ उतारते समय जलना याद आती है। इसलिए उसने तीन पैसों से एक चिमटा खरीदा । हामिद के दोस्तों ने उसका मजाक उडाया ।घर पहुँचने पर अमीना उसके हाथों में चिमटा देखकर हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर मुग्ध हो जाती है। अमीना का मन गद्गद हो जाता है और आँचल फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जातीं और आँसुओं की बडी-बडी बूँदें गिराती जाती थीं।
बडे-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्व अपने शब्दों में बताइए ।

ई)बडे-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्व अपने शब्दों में बताइए ।
ज: प्राचीनकाल से ही नैतिक मूल्य भारतीय जीवन के प्रतिबिंब रहे हैं। हम अपने बुजुर्गों का बडा ध्यान रखते हैं। बडे-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह आदि भावनाएँ । रखना हमारे नैतिक मूल्यों की जानकारी होती है। यदि हम बड़े-बुजुर्गों के प्रति ये भावनाएँ रखते तो वे हमेशा हमें आशीर्वाद देते रहते हैं। इन भावनाओं को सब अपनाने से बड़े-बुजुर्गों को अपने बुढापे में सुख और आनंद से जीने की शक्ति उत्पन्न होती है।